रांची, 07 नवम्बर ।
झारखण्ड भाजपा प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ की नई टीम गठित हो गयी। नई भाजपा प्रदेश कमेटी में 153 सदस्यीय टीम में 8 उपाध्यक्ष 3 महामंत्री, 7 मंत्री सहित 76 कार्यसमिति सदस्य और 44 विशेष आमंत्रित सदस्यों के नाम की घोषणा की है।
आठ (8) उपाध्यक्षों में हेमलाल मुर्मू, सांसद विद्युतवरण महतो, उषा पांडेय, विधायक सत्येंद्र नाथ तिवारी, समीर उरांव, आदित्य साहु और प्रिया सिंह शामिल हैं। घोषित नामों में अमित सिंह को युवा मोर्चे की कमान सौपी तो आरती सिंह को महिला मोर्चा का अध्यक्ष बनाया गया। वहीं प्रदीप वर्मा, विधायक नवीन जायसवाल, घुरन राम, मुनेश्वर साहु, सुबोध कुमार सिंह और नूतन तिवारी प्रदेश मंत्री बनाया गया है. गणेश मिश्र को प्रदेश प्रशिक्षण प्रमुख और हेमंत दास को प्रदेश मंत्री सह प्रदेश मुख्यालय प्रभारी बनाया गया है।
इसी तरह प्रवक्ता के रूप में जेबी तुबिद, राजेश कुमार शुक्ला, डा. सरिता श्रीवास्तव, दीनदयाल वर्णवाल, प्रतुल शाहदेव और प्रवीण प्रभाकर के नाम शामिल हैं। इसी तरह शिवपूजन पाठक को मीडिया प्रभारी तथा संजय जायसवाल को सह प्रभारी बनाया गया है। जबकि अमित कुमार को युवा मोर्चा, आरती सिंह को महिला मोर्चा, रामकुमार पाहन को अनुसूचित जनजाति, नीरज पासवान अनसूचित जाति मोर्चा, सोना खान को अल्पसंख्यक, ज्योतिश्वर सिंह को किसान व अमरदीप यादव को पिछड़ी जाति मोर्चा का अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया है। इसी तरह अन्य सदस्यों के नाम शामिल है।
जंगल गाथा
Monday 7 November 2016
भाजपा की नई कार्यसमिति कमेटी घोषित
Thursday 25 September 2014
50 सीट से कम पर पोसायी नहीं
50 सीट से कम पर पोसायी नहीं
महागंठबंधन में कांग्रेस,झामुमो, राजद के अलावा
तृणमूल कांग्रेस, जदयू और छोटे-छोटे और भी दल के हैं नेता।
ऐसे में कांग्रेस झामुमो और राजद के बाद कोई अन्य दल महागंठबंधन में शामिल हुआ तो सचमूच विधान सभा सीट बढ़ाने के लिए यहां के नेताओं को करना पड़ेगा उलगुलान। इस गुट में अभी तृणमूल कांग्रेस, जदयू और अन्य छोटे दलों की दावेदारी अभी शामिल नहीं हो पायी है। जबकि राज्य के कुछ इलाकों पर प्रभाव रखने वाले नेताओं को इस महागंठबंधन में हर हालत में एडजस्ट करना अधिक सीट जीतने की शर्त में शामिल है।
वैसे दूसरी तरफ सीटों का दावा करने वाली पार्टियों के नेता इन सीटों पर चुनाव लड़ने में सक्षम पार्टी प्रत्याशियों के नाम के सवाल पर चुप्पी साध लेते हैं। पूर्व में भी यह देखा गया है कि फिलहाल राज्य में किसी भी एक दल के पास चुनाव जीतने की क्षमता और लोकप्रियता रखने वाले 40 नाम भी नहीं हैं। जीत की संभावनाएं वाले उम्मीद्वारों की संख्या कम होने की वजह से भी पार्टियां अब गंठबंधन के भरोसे अपनी नैय्या पार लगाना चाहती हैं।
- महागंठबंधन पर अलाप रहे हैं झारखंड के नेता
- मनमाने ढंग से सीट बंटवारे पर सूबे की 81 विस सीटों की संख्या पहुंचेगी रांची : आगामी विधान सभा चुनाव को लेकर सूबे में महागंठबंधन बनाने की होड़ में रोड़ा आ रहा है। चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर गंठबंधन पर शामिल सभी नेता 50 सीट से कम पर मानने को तैयार नहीं है। नेताओं का स्पष्ट कहना है गंठबंधन को लेकर राज्य में सबों के सफल प्रयास से सरकार का बढ़िया प्रदर्र्शन रहा है। ऐसे में 50 सीटों से कम पर चुनाव लड़ने में पोसायी नहीं होगी। इस रेस में सबसे आगे झामुमो और कांग्रेस के नेता हैं। सूत्रों का कहना है कि एक ओर झामुमो द्वारा अपने शासनकाल को बेहतर बताते हुए 50 सीट से कम पर मानने को तैयार नहीं है। वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रीय स्तर की पार्टी का दावा करते हुए कांग्रेस भी इससे कम पर तैयार नहीं है। इसी तरह राजद भी 25 सीट चाहती है। 81 विस सीट वाली झारखंड की विधान सभा सीट में महागंठबंधन पर ही 125 सीट का दावा ठोंकने से विस सीट की संख्या भी डगमगाने लगी है। ऐसे में आने वाला समय ही बताएगा झारखंड की राजनीति में और कौन सा नया दौर आने वाला है।
महागंठबंधन में कांग्रेस,झामुमो, राजद के अलावा
तृणमूल कांग्रेस, जदयू और छोटे-छोटे और भी दल के हैं नेता।
ऐसे में कांग्रेस झामुमो और राजद के बाद कोई अन्य दल महागंठबंधन में शामिल हुआ तो सचमूच विधान सभा सीट बढ़ाने के लिए यहां के नेताओं को करना पड़ेगा उलगुलान। इस गुट में अभी तृणमूल कांग्रेस, जदयू और अन्य छोटे दलों की दावेदारी अभी शामिल नहीं हो पायी है। जबकि राज्य के कुछ इलाकों पर प्रभाव रखने वाले नेताओं को इस महागंठबंधन में हर हालत में एडजस्ट करना अधिक सीट जीतने की शर्त में शामिल है।
वैसे दूसरी तरफ सीटों का दावा करने वाली पार्टियों के नेता इन सीटों पर चुनाव लड़ने में सक्षम पार्टी प्रत्याशियों के नाम के सवाल पर चुप्पी साध लेते हैं। पूर्व में भी यह देखा गया है कि फिलहाल राज्य में किसी भी एक दल के पास चुनाव जीतने की क्षमता और लोकप्रियता रखने वाले 40 नाम भी नहीं हैं। जीत की संभावनाएं वाले उम्मीद्वारों की संख्या कम होने की वजह से भी पार्टियां अब गंठबंधन के भरोसे अपनी नैय्या पार लगाना चाहती हैं।
Friday 18 April 2014
लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत> भय के बीच वोट दिया कई लोगों ने
http://www.rashtriyakhabar.net/%e0%a4%a8%e0%a4%95%e0%a5%8d%e2%80%8d%e0%a4%b8%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%96%e0%a5%8c%e0%a4%ab-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ac%e0%a5%80%e0%a4%9a-%e0%a4%ac%e0%a5%87%e0%a4%96%e0%a5%8c%e0%a4%ab-%e0%a4%ae
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